31 January 2013



















ओम प्रकाश चौटाला.
अजय सिंह चौटाला.
माल कमाया पिता पुत्र ने,
करके खूब घोटाला.

लालू खा के चारा.
सी-एम् बने दुबारा.
‘प्रजातंत्र’ की जय हो,
अटल बिहारी हारा.

गजब प्रभू की ‘माया’.
छक  के  नोट कमाया.
जीते जी लगवा के पत्थर,
अमर हो गयी भाया.

     बेचारे कलमाड़ी.
     ठहरे नए खिलाड़ी.
     ‘वाइड बाल’ पर आउट हो के,
     पंहुचे जेल तिहाड़ी.

18 January 2013

कृष्ण ! तुम कहाँ हो !















कृष्ण ! तुम कहाँ हो !

कृष्ण ! तुम कहाँ हो !


सत्य है पराजित,

बेवस, हे केशव !

आज फिर 'द्रोपदी' को

नोच रहे 'कौरव'.



अधम, नीच, पापी

     कर रहे शासन,

     साधु जन शोषित,

पीड़ित हैं सुजन. 


व्याप्त है सर्वत्र

अधर्म ही अधर्म,

कामना में ‘फल’ की

हो रहा कुकर्म


    स्तब्ध है ‘पार्थ’

    सशंकित हर मन

    दिये कुरुक्षेत्र में,

    क्या झूठे बचन ?


    परित्राणाय साधुनाम,

    विनाशाय च दुष्कृताम,

    धर्म संसथाप्नार्थाय,  

फिर से अवतार लो

कृष्ण ! तुम जहाँ हो !

कृष्ण ! तुम जहाँ हो ! 


8 January 2013


भेड़िया












खुदा भी आसमां से जब जमीं पर देखता होगा.
भला इन मनचलों को क्यूँ बनाया, सोचता होगा.
निकलता है जो हर सुबह, अपनी माँ के आंचल से,  
वही दिन में, ‘किसी की माँ’ का आंचल खीचता होगा.
कलाई में बंधा कर राखियाँ, वो अपनी बहनों से,
कलाई और बहनों की, फक्र से खीचता होगा.
हवस से देखता है, जो, गैरों की बेटियों को,
खुदा जाने, वो खुद की बेटियों का, क्या पिता होगा.
नजर आती है जिसको ‘जिस्म’ हर एक औरत में,
वो क्या इंसा,  महज वो ‘भेड़िया’ होगा.