एक बार जबरजस्त गर्मी और सूखा पड़ा. सारे पेड़, पौधे, नदी, तालाब सूख गए और पूरे इलाके में खाने और पीने के लिए कुछ नहीं बचा. कई दिनों से भूखा और प्यासा एक हिरन इधर उधर भटक रहा था. तभी उसे एक जीर्ण शीर्ण मंदिर दिखाई दिया. छाया की तलाश में वह मंदिर के अंदर चला गया. वहां उसे एक देव प्रतिमा स्थापित दिखाई दिया. उसने प्रतिमा से प्रार्थना किया कि पिछले कई दिनों से उसने कुछ भी खाया-पिया नहीं है और उसे कुछ खाने को मिल जाय. तत्काल प्रतिमा से आवाज आई :
" मंदिर के पीछे काफी हरी घास है और एक छोटे से तालाब में साफ़ पानी भी है. जाओ जी भर के खाओ, पानी पियो और छाया में आराम करो".
हिरन ने ईश्वर को धन्यवाद दिया और मंदिर के पिछवाड़े की ओर लपका.
थोडी ही देर बाद एक भूखा और प्यासा शेर मंदिर में आ पहुंचा. उसने भी ईश्वर से वही प्रार्थना की. प्रतिमा से पुनः आवाज आई :
" मंदिर के पीछे एक हिरन है और एक छोटे से तालाब में साफ़ पानी भी है. जाओ जी भर के खाओ, पानी पियो और छाया में आराम करो".
शेर ने भी ईश्वर को धन्यवाद दिया और मंदिर के पिछवाड़े की ओर बढ़ लिया.
1 comment:
प्रिय विनोद |यथार्थ | सांसारिक नियमों में ईश्वर भी सहायता ही करते हैं | फिर भी तो कहीं कहीं लिखा मिल जाता है कि फलां जगह शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पीते थे |जब घाट एक ही है तो पियेंगे ही -टायम अलग अलग हो जाया करता होगा | और अगर एक साथ भी पीते होंगे तो पानी पीने के बाद शेर बकरी का क्या करता होगा इतना लिखा ही नहीं जाता -सिर्फ पानी पीते थे ही लिखा रहता है
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