19 December 2011

सुबह से
राह दिखाते,
अकेला
छोड़ देता है जब
सूरज,
काली घनी
रातों के दर पे,

तभी, 
थाम लेता है
आकर,
किसी कोने से
अधकटा चाँद,
तो कभी
स्याह अस्मां से
बिखरे मोती.

कभी
चमकती है
शमशीर,
बादलों में,
चीरती
अँधेरे को,
राह दिखाती
मजिल की.



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