27 February 2013

बचपन










हाथ बढ़ा कर 
करता हूँ  
कोशिश,
जब 
चाँद को 
पकड़ने की,
हँसता है
बचपन,
मेरी नादानी पे.

खो जाता हूँ जब
भूल-भुलैया में,
तारों की,
लौटा देता है
कोई,
फिर से, 
राहों में
बचपन की.

जी करता है 
दौड़ने का,
अनायास फिर से,
देखकर  
एक बच्चे को,
भागते 
यूँ ही,
अनायास.





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