27 July 2025

नदी

 नदी 


नदी !
अपनी रेत वापस ले कर रहेगी
तुम्हारे मकान और हवेलियाँ
कर्जदार हैं इसकी
गांव का चौपाल, मंदिर, मदरसे
और बांध, पुल, सड़कें
सब डूबे हैं कर्ज में इसकी
यह कर्ज आरती के दीये और
थाली के फूल से नही उतरेगा
एक दिन लौटेगी जरूर
नदी, 
अपनी रेत लेने की लिये
◆◆
सुना है,
नदी का पानी बढ़ रहा है
कल रामगढ़ और शिवपुर के बांध टूटे थे
आज नदी गांव के खेत निगल रही है
बरम बाबा का मंदिर, प्रधान की हवेली
गांव का स्कूल और नवरंग बाजार
समा रहे हैं, नदी में
लगता है, लौट आयी है
नदी, 
अपनी रेत लेने के लिये
◆◆◆
विनोद श्रीवास्तव