5 January 2009

वजह

उदास हो के ना इस शाम को उदास करो
कोई तो मुस्कुराने की वजह तलाश करो


संवेदनशील कवि मित्र विजय कुमार स्वर्णकार जी से साभार

9 comments:

ss said...

बिल्कुल सही कहा| स्वागत है आपका|

दिगम्बर नासवा said...

क्या बात है............
खूबसूरत शेर

शायद आँखे यही ढूंड रही थीं

Prakash Badal said...

श्रीवास्तव भाई आपका स्वागत है, आपका शेर बढ़िया लगा।

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

विनोद भाई,आशा है कि बेहद संवेदनशील और धारदार रचनाएं मिलेंगी आपसे.....
एक बात और कि ब्लाग के लेआउट में सेटिंग्स में जाकर वर्ड-वेरिफ़िकेशन हटा दें तो टिप्पणीकार आसानी महसूस करेंगे बाकी जैसा आप उचित समझें ये मात्र स्पाम और रोबोटिक कुटिलताओं से बचाव के लिए रहता है लेकिन हिंदी ब्लागिंग में मुझे नहीं लगता कि इसकी अभी आवश्यकता है
सादर
डा.रूपेश श्रीवास्तव

Publisher said...

ब्लॉग की दुनिया में कदम रखने के लिए आपका स्वागत है। अपने दायरे का विस्तार करें और चिट्ठाजगत ने जिस अवसर को हमारे साथ बांटा है, अपने विचारों को विस्तार दें।

ढेर सारी शुभकामनाएं।

कृषि समाधान said...

Dear, Wonderful You have made my day!!!
Thank You
My Email id is chandar30(at)gmail(dot)com
Lots of Love and Jai Baba To You
Yours Lovingly
Chandar
avtarmeherbaba.blogspot.com
lifemazedar.blogspot.com
mazedarindianfoodconcept.blogspot.com
kvkrewamp.blogsopt.com
kvkrewa.blogspot.com

Vijay Kumar said...

पक्तियां प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद
विजय

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan narayan