12 April 2009

क्लब 99

बहुत पहले की बात है एक अमीर और शक्तिशाली राजा था. बहुत सारे राजवाडे और जमींदार उसके अधीन हुआ करते थे. ढेर सारे कर एवं राजस्व की वसूली से उसका खजाना भरा रहता था. इतनी खुशियों के वावजूद राजा हमेशा उदास और परेशान रहता था. सारे दरबारियों एवं मंत्रियों ने राजा की परेशानी की बजह जानने की बहुत कोशिश की लेकिन किसी को माजरा समझ में नहीं आया. एक दिन राजा अपने एक विद्वान् मंत्री के साथ भ्रमण कर रहा था तभी उसकी नजर फटेहाल कपडे पहने एक आदमी पर गयी. वह आदमी उस इलाके का सफाई वाला था और बड़ी मस्ती में गाते हुए सड़क पर झाडू लगा रहा था. राजा उसे देख कर रुक गया. उसे बड़ा आश्चर्य हुआ और उसने अपने मंत्री से पूछा कि मै इतना अमीर राजा होकर भी हमेशा दुखी रहता हूँ और यह फटेहाल आदमी इतना खुश कैसे हो सकता है. इसकी ख़ुशी का राज क्या है ?
मंत्री बोला : राजन इसकी ख़ुशी का राज यह है कि यह अभी क्लब 99 में शामिल नहीं हुआ है. जिस दिन यह क्लब 99 में शामिल हो गया इसकी साड़ी खुशियाँ उसी दिन ख़त्म हो जाएँगी. राजा को विश्वास नहीं हुआ. वह मंत्री से बोला कि मुझे यह समझाओ कि क्लब 99 क्या है और साथ ही यह आदेश दिया कि इस झाडू वाले को भी क्लब 99 में शामिल करो ताकि वह मंत्री के बात की सत्यता का भी पता लगा सके.
आधी रात को मंत्री राजा को साथ लेकर जमादार के झोपड़ी पर पहुंचा और उसके दरवाजे के आगे एक पोटली में सोने की 99 अशर्फियाँ रख कर चुपचाप वहां से वापस आ गया. मंत्री रास्ते में राजा से बोला कि राजन अब यह जमादार भी क्लब 99 में शामिल हो गया है. आज से इसकी सारी खुशियाँ और चैन ख़त्म और अब यह भी आपकी तरह दुखी और परेशान रहा करेगा.
सुबह जमादार ने जैसे अपना फाटक खोला उसे सामने एक पोटली दिखाई दी. पहले तो उसे लगा कि कोई आदमी अपनी पोटली भूल से यहीं छोड़ गया होगा और वह उसका इंतजार करने लगा. काफी देर तक जब उसे लेने कोई नहीं आया तो उत्सुकता वस उसने पोटली खोली. पोटली में सोने के सिक्के देख कर वह दंग रह गया. उसने चुपचाप पोटली उठाई और अन्दर जाकर अपनी पत्नी को सारा माज़रा बताया. दोनों ने किवाड़ बंद करके अशर्फियाँ गिननी शुरू कीं. पोटली में 99 अशर्फियाँ देखकर उसके आश्चर्य की सीमा न रही. उन्हें अशर्फियों की 99 की विशेष संख्या पर बड़ी हैरानी हुई. उन्होंने उन अशर्फियों को चुपचाप छुपा दिया और अपने काम में लग गए.
जमादार अब परेशान रहने लगा. उसे हमेशा चिंता लगी रहती थी कि कहीं उन अशर्फियों का असली मालिक आ न जाय और उसे छीन कर वापस ले जाय. या फिर कहीं चोर ही न उन्हें चुरा लें. खैर कुछ दिन शांति से गुजर गया तो उसके साँस में साँस आई. लेकिन अब वह अशर्फियों की 99 की संख्या से दुखी हो गया. उसने सोचा कि 99 अशर्फियों का क्या मतलब है, कम से कम सौ हों तब तो कोई बात हो. उसने एक और अशर्फी जोड़ने के चक्कर में रात दिन एक कर दिया. रात दिन के मेहनत से उसके पास 99 से 199 और फिर 299...999 आदि अशर्फियाँ आती गयीं लेकिन हर बार एक और अशर्फी के चक्कर में वह नए लक्ष्य बनाता गया. उसके चेहरे से अब वह पहले वाली ख़ुशी हमेशा के लिए गायब हो चुकी थी.
कुछ दिनों बाद मंत्री राजा को लेकर फिर उधर से गुजरा. राजा की नजर जमादार पर पड़ी तो वह हैरान रह गया. उसे ख़ुशी में गाते जमादार की जगह एक चिंतित, कमजोर और परेशान आदमी नजर आया. उसने मंत्री से इस बदलाव का कारण पूछा. मंत्री ने जबाब दिया, हुजुर यह क्लब 99 का कमाल है. जब तक इसके पास कुछ नहीं था और यह 99 के फेर में नहीं पड़ा था तब तक इसको कोई गम नहीं था, आज इसके पास ढेरों अशर्फियाँ हैं लेकिन कोई ख़ुशी नहीं.
राजा को अपनी उदासी का कारण भी अब समझ में आने लगा था.

विनोद कुमार श्रीवास्तव

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