1 April 2009

इ आस्करवा का है ?

ए बाबू , इ आस्करवा का चीज है ?
आजकल बड़ा शोर मचा हुआ है कि आस्करवा मिल गया, आस्करवा मिल गया.
इ कहीं ''बिन लादेन'' तो नाही है जो अपनी पुलिस ने पकड़ ली. अइसे शोर हुआ था सन सत्तर में, जब डाकू गब्बर सिंह को ठाकुर ने पकडा था .
अरे नाही चाचा ! इ तो एक इनाम है जो अमेरिका वाले देत हैं अंग्रेजी फिलिम को. पहली बार अपने यहाँ के फिलिम को मिला है ना, इसीलिए इतना शोर है. "जय हो - जय हो" गाना है ना, उसी के वजह से मिला है . बड़ा धाँसू गाना है चाचा !
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला हो तलईया, जय हो - जय हो .
अरे बबुआ ! इ तू का गावत हो ? जय हो - जय हो के अलावा कुछ समझ में आ रहा है ?
अरे चाचा ! हमको भी पता नहीं कि ला ला ... ला ला का मतलब का है ? कौन गाना समझने की जरूरत है , अरे जब अमेरिका वाले बोल रहे हैं कि गाना बढ़िया है तो बढ़िया ही होगा. उनको अपनी लता मंगेशकर का गाना आज तक नहीं पसंद आया और इ वाला पसंद आ गया तो जरूर कोई बड़ी बात होगी इस गाने में . तुम ठहरे अनपढ़ आदमी इ सब गीत संगीत की बात नहीं समझोगे.
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला हो तलईया, जय हो - जय हो .
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला हो तलईया, जय हो - जय हो .
अरे हाँ चाचा ! फिलिम के कहानी भी बहुत धाँसू है . झोपड़ पट्टी के एक अनपढ़ लड़के को एमए - बीए पास से भी तेज़ दिखाया है इसमें. रातोरात करोड़पति बना दिया उसको. कुछ भी हो, इ अंग्रेजी फिलिम वालों का आइडिया जोरदार होत है. इसीलिए अंग्रेजी फिलिम किसी को समझ में आवे या ना आवे, यहाँ सब शो हॉउस फुल जात है .
अरे बचवा ! तबसे तूं अंग्रेजी फिलिम के बड़ाई किये जात हो, अपने यहाँ के फिलिम में कम आइडिया होत है ? इन को कोई इनाम काहें नाहीं मिलत है ? तनिक यहाँ के भी दो चार फिलिम के कहानी सुनो ना .
एक फिलिम में 'मिथुनवा' के दायें हाथ में पुलिस गोली मारत है और 'अमिता-बच्चन' जब उठा के उसको घर ले जात हैं तो उसके बाएं हाथ से गोली निकालत हैं. थोडी देर बाद उसके दायें हाथ में पट्टी दिखत है . एक फिलिम में जुड़वाँ भाई रहे, एक को मारो तो चोट दूसरे को लागत रहे . 'शारूख' के एक फिलिम में .......
अरे चाचा ! अब चुप हो जा. इन फिल्मन के भी खूब इनाम मिलत है अपने यहाँ ! 'फिलिम फेयरवा' के नाम नाहीं सुने हो का?


2 comments:

Vijay Kumar said...

aas kar kar ke jo milta hai use aaskar kahte hain. very good ,keep it up. aajkal angrez khuhs chal rahen hain.

Dr. Ravi Srivastava said...

नमस्कार!
आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला।
वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। आप की रचनाएँ, स्टाइल अन्य सबसे थोड़ा हट के है.... आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे. बधाई स्वीकारें।

आप के अमूल्य सुझावों और टिप्पणियों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है... आप के इस गंभीर सोच को दर्शाती हुई टिपण्णी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आगे भी कृपया साथ में बने रहें...

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…Ravi Srivastava